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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2639
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य

अध्याय - 24
जयशंकर प्रसाद 

(व्याख्या भाग )

आँसू

1. इस करुणा ............. असीम गरजती?

संदर्भ - उपर्युक्त काव्य पंक्तियाँ छायावाद के उन्नायक प्रतिष्ठापरक व प्रतिनिधि कवि कविवर जयशंकर प्रसाद की मुक्तक काव्य रचना 'आँसू' से अवतरित है।

प्रसंग - इन पंक्तियों में कवि स्वयं की विरह व्यथा का वर्णन करता है। कवि के अन्तर्मन में विरह का रागालाप हो रहा है तथा कवि के आर्त स्वरों से उसकी वेदना की अभिव्यक्ति भी हो रही है।

व्याख्या. कवि जयशंकर प्रसाद अपनी वियोगजन्य रचना 'आँसू' के माध्यम से अपनी विरहानुभूति का प्रदर्शन करते हैं। करुणा से आप्लावित हृदय में विकलता का भी समावेश हो गया है। करुणा जो स्वयं वेदना को जन्म देती है यदि उसमें व्याकुलता का प्रवेश हो जाता है तो हृदय की तड़प अधिकाधिक हो जाती है। यही करुणाजन्य हृदय में अब विकल-रागिनी को सुनने के लिए विवश है। वह रागिनी कहीं अन्यत्र स्थान से न आकर स्वयं कवि के आर्तपुकार या हाहाकार के स्वरों से ही अभिव्यंजित होती है। यही हाहाकार द्वारा निर्मित रागिनी आज कवि के हृदय में घोर पीड़ा उत्पन्न कर रही है। इस असीम वेदना का गर्जन कवि को अति व्याकुल कर देने वाला है।

विशेष - रस - करुण, छन्द- वीर छन्द, अलंकार ('करुणा कलित' अनुप्रास, वेदना असीम गरजती - मानवीकरण), भाषा– खड़ी बोली, शब्दशक्ति लक्षणा, काव्यगुण - माधुर्य।

टिप्पणी- कवि निराला तो जयशंकर प्रसाद की करुणा जो पत्नी जन्य करुणा है, उसे अपनी पुत्री सरोज के निधन पर सरोजस्मृति में इस प्रकार व्यक्त करते हैं-
दुःख ही जीवन की कथा रही
क्या कहूँ आज जो नहीं कही !

यह करुणा प्रसाद के हृदय में कामायनी के श्रद्धा सर्ग में व्यक्त होती है -

किन्तु जीवन कितना निरुपाय,
लिया है देख नहीं सन्देह,
निराशा है, जिसका परिणाम,
सफलता का वह कल्पित गेह।

2. मानस सागर ........... विस्मृत बीती बातें?

संदर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - कवि प्रसाद जी इन पंक्तियों में अपनी प्रिया की मिलन- बेला की स्मृतियों का स्मरण करके पूर्व की घड़ियों को बिसूरते हैं।

व्याख्या - प्रेमी के मन में भूली-बिसरी बातों की स्मृति जाग उठी है और यह स्मृति कवि के मानस के परदे पर बराबर धीरे-धीरे टकरा रही है। प्रथम पंक्ति में कवि अपने से प्रश्न करते हैं कि मानस- सागर के तट पर भाव की लहरें क्यों टकरा रही हैं? लोल शब्द से यह प्रकट होता है कि स्मृतियाँ एक के बाद एक बड़ी शीघ्रता से उठ रहीं हैं और मन की भित्ति (दीवाल) पर टकरा रहीं हैं, जिस प्रकार लहरें तट से टकराती हैं। स्मृतियों की लहरों का आघात भी कवि को मधुर प्रतीत होता है। तभी उन लहरों में कल-कलं ध्वनि होती है जो कलरव और अतीत (कल) की अभिव्यंजना करती है। इस कल-कल ध्वनि से माधुर्य भाव भी व्यंजित होता है कि प्रेयसी प्रेमी को अपने प्रेम भाव से पूर्व में आर्द करती रही है।

विशेष - रस करुण, छन्द- वीर, अलंकार -(मानस- सागर में, रूपक 'कल-कल में, श्लेष और ध्वन्यार्थ व्यंजना) भाषा - खड़ी बोली, काव्यगुण - माधुर्य, शब्द शक्ति लक्षणा।

3. आती है शून्य ............. देती फेरी?

संदर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - कवि अपनी विरह वेदना का एकाकी रुदन करता है। वह अपनी पीड़ा की अभिव्यक्ति अपनी दिवंगता प्रियतमा को प्रेषित करने हेतु शून्य क्षितिज में पुकार लगाता है, किन्तु उसकी पुकार वापस उसी के पास आ जाती है, इससे कवि अति विचलित व पागल सा हो जाता है।

व्याख्या - कवि की स्मृति - वेदना हाहाकार के स्वरों में मुखरित तो होती है, किन्तु यह करुण चीत्कार उन्हीं तक मँडरा कर रह जाती है, जिसके प्रति वह उन्मुख होता है उस तक वह हाहाकार पहुँच नहीं पाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि कवि का प्रिय, जिसके साथ उसने प्रेम का मादक प्याला पान किया है, वह इस लोक में अब नहीं है। प्रिय की रिक्तता कवि को व्यथित कर देती है कि वह अपने प्रिय विरह में अरण्यरोदन करता फिरता है। यह रोदन उसका बाहर प्रकट होकर उसकी आन्तरिक अवस्था को सम्पूर्ण संसार और आकाश तक में भर देता है, परन्तु उसका कोई प्रत्युत्तर कवि को नहीं मिलता। कवि अपने करुण आलाप को स्वयमेव सुनता है। कवि की आँसुओं के साथ आँसू बहाने वाला उसे और कोई नहीं दिखायी देता। इसी निराशा के भाव से वह पूछता है कि उस शून्य- क्षितिज से मेरी प्रतिध्वनि क्यों लौट आती है? कवि का यह एकाकी रुदन पागल का प्रलाप प्रतीत होता है, किन्तु इसमें प्रेम की पराकाष्ठा तो विद्यमान है, इसमें तनिक सन्देह नहीं है।

विशेष - रस करुण, छन्द वीर, अलंकार - रुपक, भाषा- खड़ी बोली, शब्द शक्ति - लक्षणा, काव्यगुण - माधुर्य।

4. क्यों व्यथित .............. मृदुल हिलोरें।

संदर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने अपने हृदय के हर्ष और विषाद को व्यक्त करके अपने मानस को हलका किया है।

व्याख्या - कवि कहता है मैंने अपने जीवन में दुःख और सुख दोनों पक्षों को बहुत स्पष्ट ढंग से प्रस्तुत कर दिया है, किन्तु मुझे स्वयं यह ज्ञान नहीं कि मैंने ऐसा क्यों किया परन्तु ऐसा करने से मुझे सुखानुभूति अवश्य हुई। अपने जागृत मन या जीवन को कवि ने आकाशगंगा की उपमा दी है। आकाशगंगा के फेनिल तारकों का समूह कवि की व्यथा के प्रतीक प्रतीत होते हैं। जब किसी तरल पदार्थ का मन्थन किया जाता है, तो वह फेनिल हो जाता है। हृदय को जब वेदना मथने लगती है तब उससे उठा फेन भी ऐसा प्रतीत होता है, जो कि आँसू बन कर आँखों से दुलक जाते हैं। नदी के उद्गम और अन्त ही उसके दो छोर होते हैं। कभी-कभी नदी का उद्गम स्थान पता नहीं चल पाता, उसका स्रोत अज्ञात स्थल से फूट कर बह सकता है। परन्तु कवि ने अपने मन की 'तरंगिणी' के किसी भी छोर को गोपनीय नहीं रखा। जिस प्रकार हम व्योमगंगा की रेखा के दोनों छोरों को अपनी खुली आँखों से देख सकते हैं उसी प्रकार कवि ने प्रेमी रूप में अपने जीवन के हर्ष और शोक दोनों पक्षों को बहुत स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। ऐसा करने के कारण वह सुखानुभूति भी करता है। एक मनोवैज्ञानिक तथ्य यह है कि जब मनुष्य अपने अन्दर की विकारजन्य वस्तुओं को बाहर निकाल देता है तो वह अपने को स्वस्थ्य महसूस करने लगता है। यहाँ कवि ने यही किया है।

 

 

विशेष - रस - करुण, छन्द - वीर, अलंकार - मानवीकरण, भाषा- खड़ी बोली, काव्यगुण - माधुर्य, काव्य दोष - च्युत संस्कृति।
नोट- यहाँ काव्य दोष च्युत संस्कृति इसलिए है कि कवि ने छोर का बहुवचन छोरों प्रयुक्त किया है। यद्यपि 'दोनों छोरों' के स्थान पर 'दोनों छोर शुद्ध है, किन्तु लय के साम्य के कारण कवि की इस पंक्ति में च्युत संस्कृति दोष आ गया। यह व्याकरण विरुद्ध है।

5. बस गयी ............. नील निलय में।

संदर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - कवि अपने हृदयाकाश में सुख व दुःख की अनेक स्मृतियों का निवास करना इन पंक्तियों में बताता है। कवि के सुख-दुःख अगणित हैं, उसकी स्मृतियाँ असीम हैं।

व्याख्या - कवि जयशंकर प्रसाद अपने प्रिय को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि मेरे मानस पटल पर अर्थात् हृदय स्थल में अनेक स्मृतियाँ छायी हुई हैं। जिस प्रकार नीले आकाश में विस्तृत नक्षत्र लोक की गणना सम्भव नहीं, उसी प्रकार मेरे जीवन के सुख-दुःख का परिगणन कदापि सम्भव नहीं है, मेरे सुख-दुःख की सीमा नहीं है। इसका अनुमान लगाना असम्भव है। कवि कहता है ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे मेरे हृदय में ही आकाश छाया हो और सुख-दुःख रूपी स्मृतियाँ उस आकाश में नक्षत्रों के समूह रूप में विद्यमान हैं।

विशेष रस - करुण, छन्द- वीर छन्द, अलंकार - उपमा (नक्षत्र-लोक फैला है, जैसे इस नील निलय में) भाषा - खड़ी बोली, काव्यगुण - माधुर्य।


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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारतीय ज्ञान परम्परा और हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा में शुक्लोत्तर इतिहासकारों का योगदान बताइए।
  3. प्रश्न- प्राचीन आर्य भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
  4. प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
  5. प्रश्न- आधुनिक आर्य भाषा का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
  6. प्रश्न- हिन्दी पूर्व की भाषाओं में संरक्षित साहित्य परम्परा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  7. प्रश्न- वैदिक भाषा की ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- हिन्दी साहित्य का इतिहास काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- आचार्य शुक्ल जी के हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन का आधार कहाँ तक युक्तिसंगत है? तर्क सहित बताइये।
  10. प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- आदिकाल के साहित्यिक सामग्री का सर्वेक्षण करते हुए इस काल की सीमा निर्धारण एवं नामकरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कीजिए।
  12. प्रश्न- हिन्दी साहित्य में सिद्ध एवं नाथ प्रवृत्तियों पूर्वापरिक्रम से तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  13. प्रश्न- नाथ सम्प्रदाय के विकास एवं उसकी साहित्यिक देन पर एक निबन्ध लिखिए।
  14. प्रश्न- जैन साहित्य के विकास एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उसकी देन पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
  15. प्रश्न- सिद्ध साहित्य पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- आदिकालीन साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  17. प्रश्न- हिन्दी साहित्य में भक्ति के उद्भव एवं विकास के कारणों एवं परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए।
  18. प्रश्न- भक्तिकाल की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
  20. प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  21. प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
  24. प्रश्न- भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
  25. प्रश्न- उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल ) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, काल सीमा और नामकरण, दरबारी संस्कृति और लक्षण ग्रन्थों की परम्परा, रीति-कालीन साहित्य की विभिन्न धारायें, ( रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त) प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, रचनाकार और रचनाएँ रीति-कालीन गद्य साहित्य की व्याख्या कीजिए।
  26. प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- हिन्दी के रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
  28. प्रश्न- बिहारी रीतिसिद्ध क्यों कहे जाते हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
  29. प्रश्न- रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है?
  30. प्रश्न- आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
  33. प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
  35. प्रश्न- भारतेन्दु युग के गद्य की विशेषताएँ निरूपित कीजिए।
  36. प्रश्न- द्विवेदी युग प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
  37. प्रश्न- द्विवेदी युगीन कविता के चार प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये। उत्तर- द्विवेदी युगीन कविता की चार प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
  38. प्रश्न- छायावादी काव्य के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- छायावाद के दो कवियों का परिचय दीजिए।
  40. प्रश्न- छायावादी कविता की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।
  41. प्रश्न- उत्तर छायावादी काव्य की विविध प्रवृत्तियाँ बताइये। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, नवगीत, समकालीन कविता, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
  43. प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
  44. प्रश्न- हिन्दी की नई कविता के स्वरूप की व्याख्या करते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तिगत विशेषताओं का प्रकाशन कीजिए।
  45. प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- गीत साहित्य विधा का परिचय देते हुए हिन्दी में गीतों की साहित्यिक परम्परा का उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- गीत विधा की विशेषताएँ बताते हुए साहित्य में प्रचलित गीतों वर्गीकरण कीजिए।
  48. प्रश्न- भक्तिकाल में गीत विधा के स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  49. अध्याय - 13 विद्यापति (व्याख्या भाग)
  50. प्रश्न- विद्यापति पदावली में चित्रित संयोग एवं वियोग चित्रण की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  51. प्रश्न- विद्यापति की पदावली के काव्य सौष्ठव का विवेचन कीजिए।
  52. प्रश्न- विद्यापति की सामाजिक चेतना पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  53. प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
  54. प्रश्न- विद्यापति की भाषा योजना पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
  55. प्रश्न- विद्यापति के बिम्ब-विधान की विलक्षणता का विवेचना कीजिए।
  56. अध्याय - 14 गोरखनाथ (व्याख्या भाग)
  57. प्रश्न- गोरखनाथ का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
  58. प्रश्न- गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर उनके हठयोग का विवेचन कीजिए।
  59. अध्याय - 15 अमीर खुसरो (व्याख्या भाग )
  60. प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  63. प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
  64. प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
  65. अध्याय - 16 सूरदास (व्याख्या भाग)
  66. प्रश्न- सूरदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- "सूर का भ्रमरगीत काव्य शृंगार की प्रेरणा से लिखा गया है या भक्ति की प्रेरणा से" तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
  68. प्रश्न- सूरदास के श्रृंगार रस पर प्रकाश डालिए?
  69. प्रश्न- सूरसागर का वात्सल्य रस हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- पुष्टिमार्ग के स्वरूप को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए?
  71. प्रश्न- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
  72. अध्याय - 17 गोस्वामी तुलसीदास (व्याख्या भाग)
  73. प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- तुलसी की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- अयोध्याकांड के आधार पर तुलसी की सामाजिक भावना के सम्बन्ध में अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट कीजिए।
  76. प्रश्न- "अयोध्याकाण्ड में कवि ने व्यावहारिक रूप से दार्शनिक सिद्धान्तों का निरूपण किया है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  77. प्रश्न- अयोध्याकाण्ड के आधार पर तुलसी के भावपक्ष और कलापक्ष पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- 'तुलसी समन्वयवादी कवि थे। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- तुलसीदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- राम का चरित्र ही तुलसी को लोकनायक बनाता है, क्यों?
  81. प्रश्न- 'अयोध्याकाण्ड' के वस्तु-विधान पर प्रकाश डालिए।
  82. अध्याय - 18 कबीरदास (व्याख्या भाग)
  83. प्रश्न- कबीर का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  84. प्रश्न- कबीर के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- कबीर के काव्य में सामाजिक समरसता की समीक्षा कीजिए।
  86. प्रश्न- कबीर के समाज सुधारक रूप की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- कबीर की कविता में व्यक्त मानवीय संवेदनाओं पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- कबीर के व्यक्तित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  89. अध्याय - 19 मलिक मोहम्मद जायसी (व्याख्या भाग)
  90. प्रश्न- मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जायसी के सौन्दर्य चित्रण पर प्रकाश डालिए।
  93. प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  94. अध्याय - 20 केशवदास (व्याख्या भाग)
  95. प्रश्न- केशव को हृदयहीन कवि क्यों कहा जाता है? सप्रभाव समझाइए।
  96. प्रश्न- 'केशव के संवाद-सौष्ठव हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। सिद्ध कीजिए।
  97. प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षेप में जीवन-परिचय दीजिए।
  98. प्रश्न- केशवदास के कृतित्व पर टिप्पणी कीजिए।
  99. अध्याय - 21 बिहारीलाल (व्याख्या भाग)
  100. प्रश्न- बिहारी की नायिकाओं के रूप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- बिहारी के काव्य की भाव एवं कला पक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- बिहारी ने किस आधार पर अपनी कृति का नाम 'सतसई' रखा है?
  104. प्रश्न- बिहारी रीतिकाल की किस काव्य प्रवृत्ति के कवि हैं? उस प्रवृत्ति का परिचय दीजिए।
  105. अध्याय - 22 घनानंद (व्याख्या भाग)
  106. प्रश्न- घनानन्द का विरह वर्णन अनुभूतिपूर्ण हृदय की अभिव्यक्ति है।' सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
  107. प्रश्न- घनानन्द के वियोग वर्णन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  108. प्रश्न- घनानन्द का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
  109. प्रश्न- घनानन्द के शृंगार वर्णन की व्याख्या कीजिए।
  110. प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
  111. अध्याय - 23 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
  112. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
  113. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  114. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
  115. प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए। उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की कलापक्षीय कला विशेषताएँ निम्न हैं-
  116. अध्याय - 24 जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग )
  117. प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।"
  118. प्रश्न- जयशंकर प्रसाद सांस्कृतिक बोध के अद्वितीय कवि हैं। कामायनी के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालिए।
  119. अध्याय - 25 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (व्याख्या भाग )
  120. प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
  121. प्रश्न- निराला ने छन्दों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग करके भविष्य की कविता की प्रस्तावना लिख दी थी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  122. अध्याय - 26 सुमित्रानन्दन पन्त (व्याख्या भाग)
  123. प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
  124. प्रश्न- 'पन्त' और 'प्रसाद' के प्रकृति वर्णन की विशेषताओं की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए?
  125. प्रश्न- प्रगतिवाद और पन्त का काव्य पर अपने गम्भीर विचार 200 शब्दों में लिखिए।
  126. प्रश्न- पंत के गीतों में रागात्मकता अधिक है। अपनी सहमति स्पष्ट कीजिए।
  127. प्रश्न- पन्त के प्रकृति-वर्णन के कल्पना का अधिक्य हो इस उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
  128. अध्याय - 27 महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
  129. प्रश्न- महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
  130. प्रश्न- "महादेवी जी आधुनिक युग की कवियत्री हैं।' इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
  131. प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
  132. प्रश्न- महादेवी जी को आधुनिक मीरा क्यों कहा जाता है?
  133. प्रश्न- महादेवी वर्मा की रहस्य साधना पर विचार कीजिए।
  134. अध्याय - 28 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (व्याख्या भाग)
  135. प्रश्न- 'अज्ञेय' की कविता में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों समृद्ध हैं। समीक्षा कीजिए।
  136. प्रश्न- 'अज्ञेय नयी कविता के प्रमुख कवि हैं' स्थापित कीजिए।
  137. प्रश्न- साठोत्तरी कविता में अज्ञेय का स्थान निर्धारित कीजिए।
  138. अध्याय - 29 गजानन माधव मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
  139. प्रश्न- मुक्तिबोध की कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  140. प्रश्न- मुक्तिबोध मनुष्य के विक्षोभ और विद्रोह के कवि हैं। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
  141. अध्याय - 30 नागार्जुन (व्याख्या भाग)
  142. प्रश्न- नागार्जुन की काव्य प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
  143. प्रश्न- नागार्जुन के काव्य के सामाजिक यथार्थ के चित्रण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  144. प्रश्न- अकाल और उसके बाद कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
  145. अध्याय - 31 सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' (व्याख्या भाग )
  146. प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  147. प्रश्न- 'धूमिल की किन्हीं दो कविताओं के संदर्भ में टिप्पणी लिखिए।
  148. प्रश्न- सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के संघर्षपूर्ण साहित्यिक व्यक्तित्व की विवेचना कीजिए।
  149. प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
  150. प्रश्न- धूमिल की रचनाओं के नाम बताइये।
  151. अध्याय - 32 भवानी प्रसाद मिश्र (व्याख्या भाग)
  152. प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  153. प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
  154. अध्याय - 33 गोपालदास नीरज (व्याख्या भाग)
  155. प्रश्न- कवि गोपालदास 'नीरज' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  156. प्रश्न- 'तिमिर का छोर' का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
  157. प्रश्न- 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ' कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।

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